विभिन्न ओपनरों का प्रयोग
मुरली विजय, शिखर धवन, मयंक अग्रवाल, पृथ्वी शॉ, अभिनव मुकुंद, शुभमान गिल पिछले पांच/सात साल में ओपनर के तौर पर कई मैच खेले, जबसे रोहित शर्मा ने ओपनिंग करना शुरू किया तबसे उनके साथ कोई स्थायी ओपनर बना नहीं रह पाया। विजय, धवन और अग्रवाल को तो एक दो सीरीज में फेल होने के बाद से ही बाहर कर दिया गया। जबकि शाॅ , मुकुंद और गिल को सलामी बल्लेबाज के तौर पर ज्यादा मौका नहीं दिया गया। ऐसी ही स्थिति लगभग सभी देशों की क्रिकेट टीमों में है।
रोहित शर्मा एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं इसमें कोई दो राय नहीं है पर जबतक रोहित शर्मा कप्तान नहीं बन गये तब तक उनको भी ओपनर के तौर पर बहुत मौका नहीं मिला था।
करूण नायर को मौका कम देना
बहुत साल पहले करूण नायर के साथ भी अन्याय किया गया, तीहरा शतक बनाने के बावजूद बहुत ज्यादा मौका नहीं दिया गया। टीम प्रबंधन अजिंक्या रहाणे को तब तक ढोता रहा जब तक की उनसे उपकप्तानी छीन नहीं गई। अंजिक्या रहाणे ने पिछले तीन सालों में कितनी सेंचुरी बनाई है यदि आप आंकड़ा निकालें तो आपको पता चल जाएगा।
मेरा इतना लंबा चौड़ा लिखने का कुल अर्थ यह है कि कहीं ना कहीं बीसीसीआई और टीम प्रबंधन ने कई खिलाड़ियों का भविष्य खराब कर दिया।
मयंक अग्रवाल तो काफी अच्छा कर रहे थे पर उनको भी बाहर करने का उद्देश्य समझ नहीं आया। एक बार टीम इंडिया में खेल लेने के बाद पुनः घरेलू क्रिकेट के प्रदर्शन पर निर्भर होने की वजह से खिलाड़ीयों का मनोबल कम होता है और पुनः उनकी वापसी का संभावनाएं खत्म हो जाती हैं।
अभिमन्यु ईश्वरन का पदार्पण
अब बीसीसीआई यशस्वी जयसवाल को मौका दे रही है और साथ ही साथ एक और नये ओपनर अभिमन्यु ईश्वरन को भी टीम में एक बैकअप ओपनर के तौर पर शामिल कर लिया है। अगर यशस्वी जयसवाल आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले मैच की दोनों पारियों में असफल हो गए तो अभिमन्यु को मौका मिलना तय है और जयसवाल के लिए भी समस्याएं खड़ी होंगी।
Comments
Post a Comment